चंदा बारगल/ धूप-छांव/ केलेण्डर की तारीखें जैसे-जैसे 2014 की तरफ बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे हमारे 'मुंगेरीलाल' नेताओं के सपने देखने की सूची बढ़ती जा रही है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर मुलायमसिंह यादव और केंद्रीय कृषिमंत्री शरद पवार तक प्रधानमंत्री पद के ख्वाब देख रहे हैं।
रविवार, 24 फ़रवरी 2013
बुधवार, 20 फ़रवरी 2013
मेरे पसंदीदा शायर-1 शहरयार: शायरी का 'यार'
उर्दू के मशहूर शायर शहरयार यानी कुंवर अखलाक मोहम्मद खान को हयात से जाए एक बरस हो गया, किंतु ऐसा लगता है, जैसे वे अभी जिंदा हैं। 'उमराव जान', 'गमन' और 'आहिस्ता—आहिस्ता' जैसी फिल्मों के लिए लिखी गईं, उनकी गजलें, आज भी बरबस होंठों पर आ जाती हैं। उर्दू साहित्य के फिराख गोरखपुरी, कुर्तुल ऐन हैदर और अली सरदार जाफरी के बाद ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित होने वाले चौथे शायर थे।
मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013
बाबाओं-अखाड़ों की अलग निराली दुनिया
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ जब भी कुंभ या सिंहस्थ आता है तो हमें अखाड़ों, बाबाओं की एक अनोखी दुनिया देखने को मिलती है। भले ही हम बाकी दिनों में इन बाबाओं को यत्र-तत्र भटकते देखते हों पर वे एक देश व्यापी, सुव्यवस्थित सिस्टम का हिस्सा हैं। इनमें भी नागा साधु खास तौर पर आकर्षण का केंद्र होते हैं। भिन्न-भिन्न संप्रदायों के ये बाबा या संन्यासी किसी न किसी अखाड़े के साथ जुड़े होते हैं।
शनिवार, 16 फ़रवरी 2013
ज्ञानपीठ पुरस्कार: यह वाकई प्रतिभा का सम्मान
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ भारत की आदर्श एवं प्रतिव्रता महिलाओं में पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होल्कर, द्रोपदी, सीता, तारा, आदि का उल्लेख किया जाता है। इनमें से केवल द्रोपदी, केवल महाभारत की ही नहीं, बल्कि भारत के जीवन और संस्कृति का एक अत्यंत विलक्षण और महत्वपूर्ण चरित्र है, किंतु महाभारत को अपवादस्वरूप छोड़ दें तो दीगर साहित्य ने इस विषय को बहुत गंभीरता से नहीं लिया है।
शनिवार, 9 फ़रवरी 2013
अफजल गुरू को फांसी के पीछे के संदेश
चंदा बारगल/धूपछांव/ शनिवार की सर्द सुबह एक बार फिर गर्माहट भरी, मामला संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू को फांसी देने की खबर का था। ढाई माह पूर्व 21 नवंबर 2012 को ठीक इसी तरह मुंबई हमले के आरोपी और पाकिस्तान से आए खूंख्वार आंतकी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने की खबर दावानल की भांति फैली थी। कसाब की ही तरह अफजल गुरू को फांसी दिए जाने की खबर चकित कर देने वाली थी। आश्चर्य इसलिए अधिक था, क्योंकि कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के बारे में जो आम धारणा थी, यह खबर ठीक उलट थी।
गुरुवार, 31 जनवरी 2013
क्या हुसैन बनना चाहते थे कमल हासन?
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ बेशक,कमल हासन एक उम्दा अभिनेता, संवेदनशील और बुद्धिवान व्यक्ति हैं पर उन्होंने जिस प्रकार देश छोड़ने की बात कही, वह अप्रत्याशित थी। 'विश्वरूप' के पहले भी कई फिल्मों का विरोध हुआ है और फिल्मों के विरोध का इतिहास पुराना ही नहीं बल्कि विवादास्पद भी है और यह इतिहास बताता है कि फिल्म या दूसरी किसी कला का विरोध किसी उसके आड़े नहीं आता।
बुधवार, 30 जनवरी 2013
गांधी, अभी जिंदा है...
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ महात्मा गांधी को गुजरे साढ़े छह दशक से अधिक वक्त हो गया...इस दौरान सब कुछ बदल गया है...देश बदला है...दुनिया बदली है...नीति—नियम बदल गए...आदर्श—सिद्धांत बदल गए...पर ऐसा क्या है जो नहीं बदला है...और जो नहीं बदला है, वह है सत्य...सत्य कभी बदलता नहीं और बदलने वाला भी नहीं...सत्यम, शिवम, सुंदरम...लिहाजा, गांधी जिंदा है...और सदैव जिंदा रहने वाले हैं...क्योंकि गांधीजी सत्य के पर्याय थे...सत्य के प्रतीक थे...सत्य, गांधीजी के पहले से था पर गांधीजी ने ही सबसे पहले सत्य को प्रतिष्ठापित किया...गांधीजी ने एक बार कहा भी था कि मुझे कुछ नहीं कहना, सत्य और अहिंसा तो आदि अनादि काल से चलते आए हैं.
गुरुवार, 24 जनवरी 2013
प्रवक्ताओं की ये 'महिला ब्रिगेड'
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ राजनीतिक दलों के लिए अब प्रवक्ता पद अब महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और भाजपा-दोनों ही प्रमुख दलों ने विभिन्न मुद्दों और पार्टी की नीतियों पर विचार रखने, प्रतिक्रिया देने के लिए बड़ी गंभीरता से प्रवक्ताओं का चयन किया है। बढ़िया प्रवक्ता बनने के लिए आकर्षक दिखावा, भाषा, उम्दा वक्तृत्व शैली और हाजिरजवाब होना जरूरी है।
बुधवार, 16 जनवरी 2013
आखिर,देश में किसका'राज'है?
कौन कैसे रहे? किस प्रकार रहे? क्या पहने और क्या न पहने? किसके साथ शादी रचाए? युवतियों को नौकरियां करना चाहिए या नहीं? यह सब कौन तय करेगा? जवाब है व्यक्ति खुद! हमारे संविधान ने ही हमें यह अधिकार दिया है। फिर भी कतिपय पंचायतें, संस्थाएं, संगठन और जातियां चाहे जब मनमाने 'फतवे' और 'आदेश' जारी करती रही हैं!
बुधवार, 9 जनवरी 2013
जमैका: जहां उसैन बोल्ट जैसे धावक पैदा होते हैं
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ कुछ साल पहले तक जब यह सवाल पूछा जाता था कि सबसे तेज दौड़ने वाला धावक किस देश में है तो उसका सही जवाब नहीं मिल पाता था, परंतु सतत् दो ओलिम्पिक में उसैन बोल्ट और शैली आन फ्रेजर की गति का अहसास हो जाने के बाद सबके लिए जानना आसान हो गया है कि दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले स्त्री—पुरुष जमैका में ही पैदा होते हैं।
शुक्रवार, 4 जनवरी 2013
आखिर, बलात्कार की सजा क्या हो?
चंदा बारगल/ धूप-छांव/
दिल्ली में मेडिकल की छात्रा के साथ किए गए सामूहिक बलात्कार की घटना ने
जनपथ से लेकर राजपथ तक—सबको हिलाकर रख दिया है। बलात्कार के बाद युवती को
चालू बस से जिस प्रकार फेंका गया, उसे सुनकर पत्थरदिल लोगों की रूह भी कांप
जाए।
मंगलवार, 1 जनवरी 2013
'देश की बेटी' को आखिर, सिंगापुर क्यों भेजा?
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ देश की राजधानी में नराधमों का भोग बनी 23 वर्षीय फिजियोथैरेपी की छात्रा की सिंगापुर में हुई मौत के बाद यह सवाल उठा है कि उसे देश के बाहर ले जाने की क्या वाकई जरूरत थी। कतिपय लोगों का मानना है कि पीड़ित युवती को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ हास्पिटल भेजने के पीछे चिकित्सकीय कारण कम और राजनीतिक कारण अधिक थे।
गुरुवार, 20 दिसंबर 2012
आखिर, कब तक 'शिकार' होती रहेंगी बहन-बेटियां?
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ प्रसिद्ध मराठी लेखिका मुक्ता मनोहर की एक पुस्तक है, जिसका शीर्षक है—'नग्न सत्य।' इस पुस्तक में देश में हर रोज घटित हो रही बलात्कार की घटनाओं का ब्यौरा और उसका विश्लेषण है। इस पुस्तक के पहले अध्याय में इस बात का जिक्र है कि हर रोज अखबारों में छपने वाली बलात्कार की घटनाएं लोगों को चिंतित और बेचैन कर देती हैं।
बुधवार, 19 दिसंबर 2012
शिवसैनिकों, स्मारक हटाकर तुमने अच्छा ही किया
चंदा बारगल/ धूप-छांव/
शिवसेना सुप्रीमो बालासाहब ठाकरे का मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित स्मारक
सोमवार की मध्यरात्रि हटाकर शिवसैनिकों ने अच्छा ही किया...बालासाहब ठाकरे
के निधन को एक माह हो चुका है...स्मारक को हटाने के लिए शिवसेना तैयार होगी
या नहीं, या फिर उसे पुलिस बल की मदद से हटाना पड़ेगा, आदि सवाल विवाद के
जन्मदाता थे...पर शिवसेना ने यह अच्छा ही किया...
मंगलवार, 18 दिसंबर 2012
आप कब कहेंगे, 'वोट फॉर डोंकी'
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ अमेरिका जैसे
देश की दो मुख्य पार्टियां डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के
चुनाव चिन्ह क्रमश गधा और हाथी है। भारत की बात बाद में, इथियोपिया जैसे
गरीब या लिबिया-ईजिप्त जैसे भ्रष्ट देशों में कोई भी पार्टी गधों की पार्टी
के रूप में पहचानी जाना पसंद करती है।
रविवार, 16 दिसंबर 2012
2014:राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी
चंदा बारगल/ धूप-छांव/ गुजरात विधानसभा के चुनाव की महाभारत ने देशभर में जो जोश व उत्साह पैदा कर दिया है, वह इसके पहले दूसरे किसी राज्य में नहीं देखा गया। बिहार और उत्तरप्रदेश के जैसे बड़े सूबों के चुनाव के दौरान भी ऐसा माहौल देखने को नहीं मिला था। कांग्रेस और भाजपा ने तमाम दिग्गज नेताओं को ही नहीं उतारा, बल्कि अपनी सारी ताकत झोंक दी। देश की तमाम इलेक्ट्रानिक्स चेनलों ने गुजरात चुनाव के संग्राम पर जो कवरेज दिया, वह इसके पहले नहीं देखा गया। देश—विदेश के 4 सौ से 5 सौ पत्रकारों ने गुजरात में डेरा डाले रखा।
गुरुवार, 13 दिसंबर 2012
सोशल नेटवर्किंग के जरिए 'क्रांति'
हमारे देश में 'क्रांति' शब्द का इस्तेमाल धडल्ले से किया जाता है। वैसे तो यह शब्द किसी बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत करता है,ऐसे परिवर्तन में उस भौगोलिक स्थान के समग्र राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक जीवन की उथल-पुथल हो जाती है। मसलन, लोकत़ंत्र के लिए इंग्लेंड या फ्रांस में राज-तंत्र के सामने हुई बगावत या उसके बाद सोवियत संघ में झार के राज-तंत्र के खिलाफ हुआ साम्यवादी विद्रोह।
रविवार, 2 दिसंबर 2012
गुजरात की चुनावी 'महाभारत'
महात्मा गांधी का गृह-राज्य गुजरात, विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है। ठिठुराने वाली सर्दी शुरू होने में भले ही अभी वक्त हो पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनावी गर्मी ला दी है। पहले के चुनावों के वक्त आखिरी समय तक सुस्त रहते थे पर इस बार का माहौल भिन्न है। फिलहाल, खेतों में गेहूं बोने का सीजन है परंतु गांवों में चौक-चौराहों पर किसान चुनावी गपशप में अधिक व्यस्त हैं। जगह-जगह पोस्टर-बैनर लग गए हैं। गांव-गांव में जीपें दौड़ रही हैं। राजनीतिज्ञ पहले से अधिक विनम्र हो गए हैं। लोगों के काम फटाफट निपट रहे हैं।
गुरुवार, 22 नवंबर 2012
फांसी के पीछे किसका 'भेजा-फ्राय?'
चंदा बारगल/धूपछांव/ पाकिस्तान से आए खूंख्वार आंतकी अजमल कसाब को बुधवार सुबह फांसी दिए जाने की खबर दावानल की भांति फैली। खबर चकित कर देने वाली थी। आश्चर्य इसलिए अधिक था, क्योंकि कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के बारे में जो आम धारणा थी, यह खबर ठीक उलट थी।
शुक्रवार, 9 नवंबर 2012
ये कैसे 'गड़बड़'करी?
चंदा बारगल/धूप-छांव/ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितीन गडकरी के हिस्से में हर रोज नए विवाद या घपले—घोटाले जुड़ते जा रहे हैं। स्वामी विवेकानंद और माफिया डॉन दाउद इब्राहिम के आईक्यू की तुलना कर उन्होंने अपनी अपरिपक्वता का ही परिचय दिया है। गडकरी ने ऐसी गड़बड़ पहले भी की है, कहने का आशय यह कि पहले भी उनकी जुबान फिसली है और उन्हें माफी मांगना पड़ी है। कदाचित, गडकरी भाजपा के ऐसे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे, जिन्होंने सर्वाधिक मर्तबा माफी मांगी है।
बुधवार, 7 नवंबर 2012
राहुल गांधी: असली परीक्षा 2014 में
चंदा बारगल/ धूप-छांव / राहुल
गांधी कौन हैं? यह अमूमन सभी जानते हैं, लेकिन राहुल गांधी की खासियत क्या
है? राहुल गांधी के मन में क्या है? राहुल गांधी की कमजोरी क्या है? राहुल
गांधी क्या करना चाहते हैं? राहुल गांधी क्या कर सकते हैं? क्या नहीं कर
सकते हैं? राहुल गांधी का राजनीतिक और आर्थिक चिंतन क्या है? ऐसे अनेक
सवालों का जवाब आसान नहीं है।
शनिवार, 6 अक्टूबर 2012
शनिवार, 29 सितंबर 2012
मंगलवार, 25 सितंबर 2012
बंद करो, ये बंद का सिलसिला
एक बार और भारत को बंद का सामना करना पड़ा। गुरुवार 20 सितंबर के बंद का आह्वान एफडीआई और डीजल के दामों में वृद्धि के खिलाफ एनडीए खासतौर पर भाजपा ने किया था, लिहाजा भाजपा शासित राज्यों में बंद का असर दिखा और बाकी जगह खास नहीं। लाख टके का सवाल है कि इस बंद से फायदा किसको हुआ? किसी को नहीं ना! फिर नुकसान किसका हुआ? देश का, देश के लोगों का! राजनीतिक दलों पर कुछ भी असर नहीं पड़ता। आखिर फजीहत होती है आम लोगों की, जनता की।
शनिवार, 15 सितंबर 2012
कैग को और मजबूत करने का वक्त
कोयला ब्लॉक आवंटन में हुए भ्रष्टाचार पर कैग यानी कंट्रोलर जनरल एंड ऑडिटर
जनरल ऑफ इंडिया ने ऊंगली क्या उठाई सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ विरोधियों
ने, खासतौर पर भाजपा ने मोर्चा खोल दिया। कैग की रिपोर्ट से कांग्रेस के
असहमत होने की बात भी समझने लायक है, किंतु इस संवैधानिक संस्था पर गलत
तरीके से टीका-टिप्पणी करना, यह समझ से परे है।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)