शनिवार, 21 जुलाई 2012

अफवाहों में सोशल मीडिया

मौजूदा संचार क्रांति के युग में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से कोई भी इनकार नहीं कर सकता। फेसबुक, ट्विटर, यूटय़ूब सरीखी वेबसाईट्स अब केवल मनोरंजन के साधन ही नहीं रह गई हैं बल्कि जानकारी और खबर से लेकर रोजगार पाने तक के महत्वपूर्ण कामों का सशक्त माध्यम भी बन गई हैं। सिक्के के दूसरे पहलू को देखें तो इन्हीं माध्यमों से फैलने वाली अफवाहें संप्रति चिंता की एक बड़ी वजह है और उस चर्चा जरूरी हो गई है। हाल ही में भारत की दो हस्तियां इन सोशल मीडिया की शिकार हुई हैं।

ये हस्तियां एंग्री यंगमेन अमिताभ बच्चन और बालीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना। ग्लोबल एसोसिएटेड न्यूज नामक एक वेबसाइट पर अमिताभ बच्चन के एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने की खबर प्रसारित हुई। इस खबर में कहा गया था कि अमिताभ बच्चन की कार का अमेरिका के न्यूजर्सी के मारिस टाउन और रोजवेल के बीच एक्सीडेंट हुआ और उसमें उनकी मृत्यु हो गई। खबर में यह भी कहा गया था कि कार उनका एक मित्र चला  रहा था और उसका नियंत्रण छूट जाने के कारण हादसा हुआ। यही नहीं, दुर्घटनाग्रस्त कार का फोटो भी वेबसाइट पर डाला गया था।

इस विदेशी वेबसाइट से चली यह खबर दावानल की तरह सोशल मीडिया तक पहुंची और फेसबुक, ट्विटर के पेज पर नहीं, कुछ वेबसाइट्स पर आ गई। यह खबर जारी होने के दो दिन पहले बीमार राजेश खन्ना की मृत्यु की खबर भी सोशल मीडिया ने जारी कर दी थी। (हालांकि, राजेश खन्ना की मृत्यु बाद में हुई) पिछले साल गायक अभिनेता जस्टिन वीबर की कार हादसे में मृत्यु होने की खबर ऐसी फैली कि आखिर जस्टिन को ही ट्विट कर कहना पड़ा कि, ‘रुकिए! मुङो लगता है, मैं जिंदा हूं’ इसी प्रकार, पिछले साल अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की हत्या की ट्विट भी बड़ी मात्र में हुई थी। ओबामा का यह मामला थोड़ा भिन्न था। अमेरिका की फॉक्स न्यूज का ट्विटर एकाऊंट हैक किया गया था और वहां से फर्जी ट्विट प्रसारित किया गया था। फोक्स न्यूज के करीब 35 हजार सदस्य थे। इस कारण ओबामा की खबर उनके पास पलक झपकते ही पहुंच गई।

पिछले साल 16 जनवरी को ट्विटर पर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन की खबर प्रसारित हुई। लोगों ने इस ट्विट को रिट्विट करना शुरु किया, हकीकत में मंडेला जीवित थे। नेल्सन मेंडेला फाउंडेशन को सफाई देना पड़ी कि मंडेला को कुछ नहीं हुआ है और उनकी तबीयत ठीक है।

पिछले साल ही अभिनेता शशीकपूर को ट्विटर ने मार दिया था। उनकी मृत्यु की खबर जंगल में आग की तरह फैली और उनके प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि भी दे दी। जिन अखबारों ने जिस स्नेत के आधार पर यह खबर छापी थी, उन्हें खेद व्यक्त करना पड़ा। ये सोशल मीडिया रजनीकांत से लेकर ब्रिटनी स्पीयर्स तक  अनेक लोगों को जीते-जी मारने का उपक्रम कर चुका है पर यह मामला केवल चर्चित हस्तियों के निधन की अफवाहों की खबरों का ही नही, सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली अफवाहों की जिस तरह चर्चा होती है, उसका भी है। इस कारण ऐसी फर्जी अफवाहें फैलाने में आतंकवादियों का हाथ भी हो सकता है।

पिछले साल ही मेक्सिको में घटित एक घटना के गृहसचिव गेरांडो बुजांजा ने ट्विटर आतंकवाद का पहली बार उचित ढंग से उल्लेख किया था। मेक्सिको में एक स्कूली छात्र का अपहरण कर एक बंदूकधारी बदमाश ने उस पर गोलियां चलाए जाने की खबर प्रसारित कर वहां खलबली मचा दी थी। अनेक माता-पिताओं ने अपने बच्चे सुरक्षित है कि नहीं, यह देखने के लिए रास्ते पर तेज रफ्तार से गाड़ियां दौड़ाईं, जिसके नतीजतन अनेक स्थानों पर दुर्घटनाएं हुईं और उनमें अनेक लोग जख्मी हुए। आपातकालीन फोनलाइन जाम हो गई। दिल्ली में बम धमाकों के बाद फेसबुक, ट्विटर सभी के ट्रेडिंग टॉपिक बम धमाके के बारे में ही थे। उनमें एक ट्रेडिंग टॉपिक सोनाली बेंद्रे के नाम पर भी था। उसकी वजह यह थी कि बॉलीवुड के अनेक कलाकारों ने भी अपने ट्विटर एकाऊंट पर सोनाली के ट्विटर पर आगमन का जिक्र किया था, किंतु बाद में पता चला कि सोनाली का वह एकाउंट फर्जी था। इस कारण, निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि यह एक नए प्रकार का संकट है, जो आए-दिन किसी न किसी हस्ती को जिंदा मार देगा या गंभीर रूप से जख्मी करवाकर हॉस्पिटल भिजवा देगा। इसलिए, किसी खबर या सूचना को रिट्विट या शेयर करने के पहले दो मर्तबा सोचना जरूर चाहिए।

बेशक, आईटी के इस युग में सोशल मीडिया ने आम आदमी की अभिव्यक्ति को एक बड़ा आधार दिया है, जहां वे उन्मुक्त होकर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, अपने विचारों का प्रसार कर सकते हैं पर ऐसा करने में कुछ खतरे भी हैं। उनकी ओर हम अक्सर अनदेखी करते हैं। हाल ही में विभिन्न साइट्स पर अश्लील सामग्री का बाढ़-सी आ गई है। उसी प्रकार, अफवाहें फैलाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इस प्रकार की अफवाहों के मायाजाल को रोकना भारत सरकार ही नहीं, दुनिया की किसी सरकार को रोकना बहुत ही जटिल है। ऐसे सोशल मीडिया से अपने बचाव का एक तंत्र भी विकसित हो गया है। सोशल मीडिया का नाम आते ही गूगल प्लस, फेसबुक आदि नाम हमारी आंखों के सामने आते हैं, किंतु दिन भर सोशल मीडिया से चिपके रहना घातक होता है। फिर भी, हमें अब चिंता करने की वजह इसलिए नहीं क्योंकि अब ऑली नामक एक ऐसा रोबो आ गया है जो सोशल मीडिया पर अपने नाम का उल्लेख आते ही हमें जागृत करेगा। अपने नाम का जिक्र सोशल मीडिया पर होते ही ऑली एक प्रकार की सुगंध निर्माण करेगा। उसके जरिए हमें जानकारी मिल सकेगी। ‘मिंट’ नामक एक कंपनी ने बेंजामिन रेडफोर्ड की अगुवाई में ऑली का निर्माण किया है। बेंजामिन रेडफोर्ड के मुताबिक, ऑली इंटरनेट से कनेक्ट होने के फौरन बाद अपना काम शुरू कर देगा। इस अलग प्रकार के रोबो में एक खास बात यह है कि वह इंटरनेट से कनेक्ट होने के बाद किसी को दिखाई भी नहीं देगा। लोगों को उसका इस्तेमाल करते हुए किसी प्रकार की अड़चन भी नहीं आए, इसके लिए सभी प्रकार के यूजर्स को ध्यान में रखकर ऑली का निर्माण किया गया है।

यह तो बात हुई सोशल मीडिया पर हमारी या हमारे नाम से की प्रतिक्रियाओं की। लेकिन यहां इस बात की ओर ध्यान देना और अधिक प्रासंगिक हो गया है कि क्या सूचनाओं के लिए हम सिर्फ सोशल नेटवर्किग साइट्स पर ही निर्भर हो गए हैं। क्या हमारा खुद का आईक्यू या जिज्ञासाएं इतनी सुप्त हो गई हैं कि हम खुद ऐसी जानकारियों को रिट्विट करने से पहले उसकी प्रमाणिकता न जांच सकें। इंटरनेट की आभासी दुनिया में जरूरी नहीं कि यह जानकारियां सही हों। उनका इस्तेमाल करने से पहले स्नेत की जानकारी लेना भी जरूरी है। मान भी लिया कि ट्विटर पर गलती से अमिताभ बच्चन या जस्टिन वीबर की मौत की खबर प्रसारित हो गई, लेकिन उस वक्त क्या हमारी सोच और समझदारी की मौत भी हो गई थी कि हम उस सूचना की सत्यता का पता नहीं लगा पाए। इतनी बड़ी हस्ती को यदि कुछ होता तो सारे न्यूज चैनल उसे कवर करते, लेकिन सोशल मीडिया में चौबीसों घंटे डूबे लोगों ने उसे दरकिनार कर फर्जी खबरों को रिट्विट करना शुरू कर दिया।

यह सही बात है कि सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में इंटरनेट और उस पर उपलब्ध जानकारियां काफी अहम हैं, लेकिन उससे ज्यादा अहम हैं उनके स्नेत की विश्वसनीयता। इस विषय में सोशल मीडिया को हम ज्यादा विश्वसनीय नहीं मान सकते। कारण, क्योंकि जरूरी नहीं कि सोशल मीडिया में जो भी व्यक्ति जो जानकारी प्रेषित कर रहा है वो वाकई में सही हो। इस आभासी दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका मकसद सिर्फ दूसरों को परेशान करना और अपनी कुंठाओं को शांत करना है। जरूरी सिर्फ इतना है कि भेड़चाल में चलने की जगह हम अपने स्वविवेक और समझदारी का इस्तेमाल करें।

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