गुरुवार, 9 अगस्त 2012

जिम्मेदारों को कौन बताए जिम्मेदारी

समूचा देश आज पानी-पानी है..अनेक स्थानों पर बाढ़ की स्थिति है..नदी-नाले लबालब है..अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं, जब देश पानी के लिए तरस रहा था..कोई मेंढक-मेंढकी का ब्याह रचा रहा था तो कोई जीते-जी अपनी अर्थी निकालकर जल के राजा इंद्र से मन्नत मांग रहा था..उसके भी पहले हमारे देश के कृषि मंत्री शरद पवार, तमाम मौसम वैज्ञानिकों, ज्योतिषियों-भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणी की थी कि चिंता नहीं करें..देश में बहुत अच्छी बारिश होगी, लेकिन जब मानसून ने मुंह मोड़ लिया तो हमारे ये सभी महामहिम सूखे और अकाल का भूत दिखाने में जुट गए थे.

कहने का आशय यह कि हमारे कृषिमंत्री हों या मौसम वैज्ञानिक या ज्योतिष-भविष्यवक्ता कोई ठोस या निश्चित बात नहीं करते. पहले अच्छी बारिश होने की बात कहना, फिर बारिश नहीं होने की स्थिति में सूखे से निपटने की तैयारियों को युद्धस्तर पर अंजाम देना और जब मूसलाधार बारिश होने लगे तो बाढ़ के नाम पर हाथ ऊंचे कर देना, आखिर ये सब क्या है? ये लोग आखिर हरा-हरा सब्जबाग क्यों दिखाते हैं? 

जब हरा-हरा होता नहीं तो फौरन पलटी क्यों मार देते हैं? मेरे एक श्रद्धेय हैं लक्ष्मीकांतजी मिश्र, उन्हें ये सब सवाल सालते हैं. मेरे लिए उनका स्थान तमाम ज्योतिषियों और भविष्यवक्ताओं से ऊपर है. उनका साफ कहना है कि चाहे कृषिमंत्री हों या मौसम वैज्ञानिक या ज्योतिषविद् या भविष्यवक्ता-आखिर इनकी जवाबदेही तो तय होना चाहिए. मिश्रजी के मुताबिक, मंगल का छठी राशि में होना, मंगल अग्नि का और शनि देरी का कारक होने से मानसून में विलंब हुआ. 

इन दोनों की वजह से उमस और सूखे की स्थिति की आशंका बढ़ी और किसान ही नहीं आमजन भी बेहाल हो गए. शनि सातवीं राशि से एक घर पीछे कन्या राशि में जाकर वक्री हो गया..वहीं मंगल 6 वें घर में होकर दोनों के वक्री होने से यह स्थिति बनी, लेकिन बाद में शनि ने रफ्तार पकड़ी और उच्च राशि में जाने के बाद मार्गी हो गया. इस कारण बारिश का सिलसिला शुरू हुआ. मिश्रजी का कहना है कि 1 से 16 अगस्त के बीच मंगल और शनि अलग हो जाएंगे और तब तक पूरे देश में भरपूर वर्षा हो चुकी होगी. 

पूरे हिंदुस्तान में पर्याप्त बारिश हो चुकी होगी और सूखे की संभावना नहीं के बराबर होगी. उनका यह भी कहना है कि इस बीच क्रुड ऑइल के भाव बढ़ने की संभावना है. उनकी ये बातें मुङो इसलिए अच्छी लगती हैं क्योंकि एक तो वे प्रोफेशनल नहीं हैं, दूसरे वे कभी बारिश, कभी सूखा, कभी बाढ़ का भय दिखाकर अपना ‘खेल’ करने वालों के खिलाफ जवाबदेही तय करने की बात करते हैं. क्या हमारे देश के कर्णधार, कभी इस दिशा में सोचेंगे?

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