अमूमन हरेक व्यक्ति की जुबान पर कुछ ऐसे शब्द आते हैं, जो वह व्यक्ति बार-बार बोलता है..इन्दौर में मेरे एक मित्र हैं हेमंत रायकवार ‘बंधु’..एक एड एजेंसी के स्वामी..करीब 20-21 साल पुरानी बात है..मेरा उनके पलासिया स्थित निवास पर करीब-करीब रोज ही जाना होता था.. उनका एक मित्र था राजू..वह हर बात के पीछे ‘इसकी ऐसी की तैसी’ बोलता था..बिना ‘इसकी ऐसी की तैसी’ किए वह रह नहीं पाता था.. हम दोनों ने इस बात को नोट कर लिया था और उसकी अनुपस्थिति में हम उसके नाम के बजाय ‘इसकी ऐसी की तैसी’ ही बोलते थे..
कुल मिलाकर हम दोनों उसकी ‘इसकी ऐसी की तैसी’ से पक गए थे..वह हमें पकाए जा रहा था, फिर भी समझ नहीं पा रहा था..एक दिन रात को मैं ‘बंधु’ के घर पहुंचा..मैंने बंधु से पूछा- ‘वो नहीं आया, इसकी ऐसी की तैसी’ बंधु बोला-‘हां, अभी तक तो नहीं आया, इसकी ऐसी की तैसी.’ करीब एक-सवा घंटे के बाद राजू अवतरित हुए. उनके कमरे में दाखिल होते ही, मैंने पूछा-‘बहुत लेट हो राजूभाई. कहां अटक गए थे?’
- अब राजू शुरू हो गया.बोला-‘क्या बताऊं चंदा भाई, इसकी ऐसी की तैसी..
- सुखलिया गया था इसकी ऐसी की तैसी..
- वहां से लौट रहा था इसकी ऐसी की तैसी..
- सयाजी के वहां पेट्रोल खत्म हो गया इसकी ऐसी की तैसी..
- हाथ से स्कूटर खींच के लाया, इसकी ऐसी की तैसी..
- पेट्रोल पंप बंद था, इसकी ऐसी की तैसी..
- मेरा तो दम ही निकल गया, इसकी ऐसी की तैसी..
- बड़ी मुश्किल से दूसरे पेट्रोल पंप तक गया, इसकी ऐसी की तैसी..
- वहां से पेट्रोल भरवा के चला आ रहा हूं, इसकी ऐसी की तैसी.’
उसके इस ‘ऐसी की तैसी’पुराण से मैं और बंधु हंस-हंस के लोटपोट हुए चले जा रहे थे पर वह समझ नहीं पा रहा था कि हम क्यों हंसे जा रहे हैं..हमारे लोटपोट हो जाने के बाद भी वह रूका नहीं था..फिर बोला- आज शायद हंसने की गैस लीक हो गई है,‘इसकी ऐसी की तैसी.’ आज सिर्फ इतना ही, ‘इसकी ऐसी की तैसी.’ अगली बार फिर किसी और तकिया कलाम पर बात करेंगे,‘इसकी ऐसी की तैसी.’
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