रविवार को समूची धरा पर ‘फादर्स डे’ या ‘पितृ दिवस’ मनाया जा रहा है..ताजिंदगी अपने खुद के बजाय अपने परिवार के लिए मरने-खपने वाले पिता के सम्मान का आज दिन..परिवार में सदैव उपेक्षित रहने वाले बाप..सॉरी दुनिया भर के ‘फादर’ के सम्मान में एक छोटा-सा शब्द-गुच्छ.
मां घर का सौभाग्य होती है तो बाप घर का अस्तित्व होता है, पर घर के इस अस्तित्व को हमने आज तक समझा है क्या? यह सवाल आज ‘फादर्स डे’ पर भी मुंह बाए खड़ा है..संत महात्माओं ने भी मां का ही गुणगाण किया है..छत्रपति शिवाजी महाराज को घड़ने वाली जिजा माता की महानता का बखान भी अनेक साहित्यकारों, लेखकों ने किया है किंतु शिवाजी महाराज को छत्रपति शिवाजी महाराज बनाने में शहाजी महाराज का योगदान भी कम नहीं था..
अनेक लेखकों ने भी बाप को गुस्सैल, डांट-डपट करने वाला, व्यसनी आदि आदि बताकर उसकी ऐसी छबि बना दी है..हकीकत में जब हमारे सामने कोई चुनौती या मुश्किल आ जाती है तब हमारे मुंह से कोई शब्द निकलता है तो वह होता है ‘बाप रे !’ इस एक शब्द से ही बाप की ऊंचाई का पता चलता है..परिवार का प्रमुख होने से वह परिवार में प}ी का पति, बच्चों का पापा या डैडी, किसी का भाई, किसी का बेटा भी होता है..
एक तरफ मां जैसी देवी दुनिया में नहीं, यह स्तुति-गान किया जाता है पर दूसरी तरफ बेचारा बाप हमेशा उपेक्षित ही रहता है..हकीकत में तो बच्चों के जन्म से लेकर उनकी परवरिश, शिक्षा-दीक्षा, स्वास्थ्य, शादी-विवाह तक की जिम्मेदारी का भार बाप के कंधे पर होता है और इस जिम्मेदारी को निभाते हुए उसे यदा-कदा कर्ज भी लेना होता है..ऐसी स्थिति में बाप बेचारा कभी गुस्सा होकर तो कभी प्रेम से अपने परिवार को आकार देने का काम करता है..जिन घरों में बाप होता है उस घर पर किसी की बुरी नजर नहीं पड़ती..बस एक ही अपेक्षा है कि मां के समान ही बाप को भी सम्मान मिले..हेप्पी फादर्स डे..
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