एक अमेरिकन पत्रकार ने पिछले दिनों एक शोध किया..शोध इस बात पर किया कि अमेरिकी, आस्ट्रेलियाई और अंग्रेज नामों का उच्चरण किस प्रकार करते हैं..इस शोध में इस पत्रकार को बहुत ही रोचक अनुभव हुआ..इस पत्रकार को पता चला कि गद्दाफी, गज्जाफी, कज्जाफी जैसे करीब बीस नाम सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल किए जा रहे थे..इन महाशय ने खोज की तो पता चला इसकी दो वजह हैं..
एक तो अरबी भाषा और दूसरा अमेरिकियों की जुबान..कुछ शब्दों का उच्चरण तो अमेरिकी और अंग्रेज कर ही नहीं पाते..अरबी में इसके लिए काफ, द्वाद, फे, ये इस्तेमाल होते हैं..इन्हीं अक्षरों को अरबी और ईरानी अलग-अलग बोलते हैं..ईरानी और दूसरे तमाम लोग द्वाद को झवाद बोलते हैं (झ खास तौर बोलते हैं)..इसलिए जिस नाम का उच्चरण अरबी कद्दाफी करते हैं उसी नाम का उच्चरण ईरानी, तुर्की, उजबेगो कज्जाफी करते हैं..यही नहीं, अमेरिकी तो सद्दाम हुसैन भी बोल नहीं पाते हैं। ऐसे में एक कद्दाफी के लिए यदि बीस उच्चरण हों तो कैसा आश्चर्य? मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कय्यूम के नाम के साथ भी ऐसा ही था..अंग्रेजी अखबार उनका नाम अब्दुल गय्यूम लिखते थे।
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