सोमवार, 18 जून 2012

वाटरलू यानी क्या?

फ्रांस के सम्राट नेपोलियन के साम्राज्य के खात्मे की निर्णायक लड़ाई के रुप में वाटलरू का उल्लेख इतिहास में दर्ज है..समूचे यूरोप में नेपोलियन की इस पराजय का उल्लेख वाटलरू के रुप में किया जाता है..यह लड़ाई या संग्राम 18 जून को नेपालियन की पराजय के बाद खत्म हो गई..तब यूरोप और दुनिया की तस्वीर आज के मुकाबले बहुत ही अलग थी..आज यह वाटरलू बेल्जियम में है पर उस वक्त यह युनाईटेड किंग्डम ऑफ नीदरलेंड का हिस्सा था..

उन दिनों नेपोलियन की पुनर्वापसी हुई थी.. 1815 के मार्च में नेपोलियन ने एल्बा के कारागार से मुक्त होने के बाद पुन: अपने साम्राज्य के विस्तार करने की जो शुरुआत की थी, उसके आखिरी सौ दिन..‘लास्ट हंड्रेड डेज’के नाम से इतिहास में दर्ज है..उसे रोकने के लिए फांस के खिलाफ इंग्लेंड सहित यूरोप के कुछ देशों ने गठबंधन किया था..इस गठबंधन में इंग्लेंड के अलावा नीदरलेंड, प्रसिया, नासाऊ, हेनोवर और ब्रुन्सविक की सेना शामिल थी.. एक ओर नेपोलियन था तो दूसरी ओर उसके विरोधी राष्ट्रों की कमान ड़यूक ऑफ वेलिंग्टन और प्रसिया के गेव्हार्ड लिबरेच्त फॉन ब्ल्युचर थे..

नेपोलियन का आक्रमण शुरू हुआ तब ये राष्ट्र अपनी रक्षा में सिद्ध थे.. वाटरलू नामक रण-भूमि में फ्रांस के 72 हजार सैनिक थे तो सात देशों के गठबंधन के एक लाख 12 हजार सैनिक थे..यह सेना नेपोलियन को रोकने के लिए फ्रांस के ईशान्य सीमा पर सुसज्ज थी.. नेपोलियन ने फ्रांस लांघकर उन पर हल्ला बोलकर उन्हें पीछे हटाने के लिए चढ़ाई शुरु की.. शुरुआत में गठबंधन देशों की सेना बड़ी संख्या में मारी गई..इस युद्ध में नेपोलियन के 25 हजार सैनिक मारे गए..तो आठ हजार सैनिक बंदी बना लिए गए और 15 हजार लापता हो गए.. उधर विरोधी राष्ट्रों की सेना के 4700 सैनिक मारे गए 17 गंभीर रुप से जहजार पकड़ लिए गए..

उस जमाने के इस युद्ध की पद्धति के मुताबिक, अश्व दल और तोपखानों का काम निर्णायक साबित हुआ.. इस युद्ध का चक्षुदर्शी वर्णन अनेक लोगों ने किया है, उनमें इतिहासकार तो हैं ही, पर इंग्लेंड के रायफल ब्रिगेड के केप्टन जे. किंकेड द्वारा लिखित वृतांत पटनीय है..किंकेड के मुताबिक, उस रण-भूमि में सर्वत्र मौत का तांडव दिखाई पड़ रहा था.. मेरा घोड़ा बुरी तरह जख्मी हो चुका था.. वह एक ओर हो गया था..तभी मुङो विजय का उद् घोष सुनाई दिया..वह हमारे सैनिकों का था.. थोड़ी देर में लार्ड वेलिंग्टन घोड़ा दौड़ाते हुए उद्घोष करने वाले सैनिकों के पास आए और बोले कि यह वक्त उद्घोष करने का नहीं, दुश्मन को और पीछे धकेलने के लिए आगे बढ़ो.. इसके साथ ही उन्होंने आक्रमण का फरमान दिया.. जिसकी सेना प्रतीक्षा ही कर रही थी..

हम लोग आगे बढ़े और उसके बाद नेपोलियन पूरी तरह पराजित हो गया..सात देशों की इस सेना ने नेपोलियन को पराभव के बाद 18 वें लुई फ्रांस की गद्दी पर विराजमान किया..आखिर में नेपोलियन सेंट हेलेना के कारागार में रखा गया..वहां 1821 में उसकी मृत्यु हो गई.. वाटलरू की विजय से वेलस्ली का नाम और कद बढ़ गया.. उसने भारत में भी काम किया..उसका भाई रिचर्ड वेलस्ली भारत में गर्वनर था.

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