महामहिम राष्ट्रपति महोदया ने अपने कार्यकाल में फांसी की सजा प्राप्त 35 अपराधियों की याचिका पर दया करते हुए फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के निर्देश दिए हैं.. इन अपराधियों की सूची में हत्या, अपहरण और छोटे बच्चों के साथ लैंगिक शोषण कर उनकी हत्या करने वाले आरोपी भी शामिल हैं..हमारे संविधान के अनुसार, फांसी की सजा सुनाए गए अभियुक्त राष्ट्रपति से दया की अपील कर सकता है.. उनके द्वारा किए गए अपराध, उसके पीछे के कारण.. आदि बातों का विचार कर राष्ट्रपति उनकी अर्जी खारिज कर सकते हैं या स्वीकार करते हुए सजा कम कर सकते हैं..अब तक हरेक राष्ट्रपति ने अनेक अजिर्यों पर दया दिखाई है, लेकिन उनके मुकाबले प्रतिभाताई पाटील ने दया दिखाने में अधिक ही रुचि ली है.. उन्होंने हाल ही में 2 जून को चार अपराधियों की दया की अर्जी स्वीकार की है..इन चारों को मिलाकर प्रतिभाताई ने अपने कार्यकाल में कुल 35 लोगों की सजा कम की है.
कर्नाटक के बागलकोट निवासी बंडू बाबूराव तिड़के ने 16 वर्षीय बालिका पर बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी..उत्तरप्रदेश के बुंटूला को भी नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार के आरोप में 2008 में फांसी की सजा सुनाई गई थी.. इन दोनों को आजीवन कारावास देने के निर्देश राष्ट्रपति ने गत 2 जून को दिए हैं. प्रतिभाताई ने जिन अभियुक्तों की सजा कम की है, उनमें से हरेक पर गंभीर आरोप थे. पायरासिंह, सरबजीतसिंह, गुरुदेवसिंह और सतनामसिंह ने एक विवाह समारोह में 17 लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी. बावजूद इसके इनकी सजाएं कम कर दीं गईं।
महामहिमा की इस दया पर लोग सवाल करने लगे हैं, कभी कभी अत्याधिक दया भी प्रश्नचिन्ह पैदा करती है, शायद ऐसा ही कोई प्रश्नचिन्ह इन दिनों प्रतिभाताई पर लग रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि मंहगाई से जूझ रही भारत सरकार पर 200 करोड़ का अतिरिक्त खर्चा डालकर सर्वाधिक विदेशी यात्रएं करने वालीं प्रतिभा ताई इतनी दयालू क्यों हैं.?
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