मंगलवार, 5 जून 2012

क्या रंग लाएगी केशुभाई की सक्रियता?

गुजरात में अगले साल चुनाव विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा में बिखराव होने की प्रबल संभावना है। नरेंद्र मोदी-संजय जोशी विवद ने इसे और गहरा दिया है। उधर, केशुभाई पटेल और उनके गुट की सक्रियता के कारण भाजपा की राजनीति क्या मोड़ लेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता परंतु इतना तय है कि कि मोदी के मुद्दे पर भाजपा ही नहीं, विश्व हिंदू परिषद में भी विवाद और अंतर्कलह उभरने की संभावना है।

गुजरात में पिछले पांच सालों से मोदी से खफा होकर गोरधन झड़फिया महागुजरात जनता पार्टी चला रहे हैं और उसे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीणभाई तोगड़िया का वरदहस्त प्राप्त है। चुनाव नजदीक आते देख मोदी से हिसाब चुकता करने के लिए केशुभाई ने भी कमर कस ली है और उनके गुट के नेताओं ने भी मोर्चा सम्हाल लिया है। केशुभाई पटेल ने पिछले दिनों प्रदेश भर में आयोजित पटेल सम्मेलनों में शिरकत की, उन्हें सफल बनाने में विश् व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान था।

मोदी ने झड़फिया और उनकी महा गुजरात जनता पार्टी को तोड़ने की तमाम कोशिशें कीं पर झड़फिया बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए। माना जा रहा है कि केशुभाई और आरएसएस के भास्करराव दामले के सक्रिय होने से अभी विश्व हिंदू परिषद को दूर रखना ही जरूरी समझा गया है। बता दें कि विहिप नेता डॉ. प्रवीण तोगडिया भी संजय जोशी की माफिक मोदी की आंखों में चुभते हैंे, लेकिन मोदी ने अशोक सिंघल को साध रखा है। हाल ही में दिल्ली में संपन्न योजना आयोग की बैठक के दौरान भी मोदी ने विहिप के दफ्तर जाकर अशोक सिंघल से मुलाकात की थी। मोदी के लिए अशोक सिंघल को मना लेना बहुत आसान है। आडवाणी के पाकिस्तान दौरे में उजागर हुए ‘जिन्ना-प्रेम’ के बाद जब विश्व हिंदू परिषद ने आडवाणी के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था, तब मोदी ने ही मध्यस्थता कर आंदोलन खत्म करवाया था।

राजधानी गांधीनगर में जब मंदिरों पर बुलडोजर चला था, तब भी विहिप ने आंदोलन किया था। इस आंदोलन में शरीक होने जब अशोक सिंघल गांधीनगर आए तो मोदी ने उन्हें डिनर पर बुला लिया था(जबकि सिंघल शिकायत करने गए थे) मोदी तब भी सिंघल को समझाने में कामयाब हो गए थे और विहिप को आंदोलन वापस लेना पड़ा था।
सिंघल के इतनी जल्दी समझ जाने को लेकर संघ और विहिप में अनेक चर्चाएं चलती रहती हैं, मगर डॉ. तोगडिया को मोदी ‘मेनेज’ नहीें कर सकते। इसकी वजह केशुभाई हैं। जब केशुभाई मुख्यमंत्री थे तो प्रवीण भाई ‘पॉवरफुल’ थे। केशुभाई, भाजपा का कितना नुकसान कर पाते हैं, यह तो चुनाव नतीजे बताएंगे पर इन दोनों नेताओं की सक्रियता भाजपा में सेंध जरूर लगाएगी, इतना तय है।

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