एक दूरदृष्टि रखने वाला व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया कैसे बदल सकता है? यह बात सागर कलेक्टर ई. रमेशकुमार से सीखी जा सकती है। चिकित्सा की पढ़ाई करने के बाद समाज में परिवर्तन लाने के मकसद से आईएएस बने रमेशकुमार ने बेरोजगारों को रोजगार दिलाकर सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में गजब का काम किया है। रमेशकुमार की खासियत यह है कि उनसे मिलने आने वाला व्यक्ति हसंते-मुस्कराते बाहर निकलता है।
इसकी वजह यह है कि रमेशकुमार सामने वाले व्यक्ति की समस्या का निदान ही नहीं करते, बल्कि उसे हमेशा के लिए सुखी करने की दिशा में सार्थक प्रयास करते हैं। आईएएस बनने के बाद जब वे बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के कलेक्टर बने, तब उन्होंने देखा कि यहां के ज्यादातर गरीब और आदिवासी युवक कंस्ट्रक्शन के कामों में जाते हैं। इसी प्रकार, कुछ युवक टेक्सटाइल मिल्स में जाते हैं। ये युवक प्रशिक्षित नहीं होने से बहुत कम मजदूरी पर काम करते थे। रमेशकुमार ने उनके लिए कोचिंग क्लास शुरू की।
रमेशकुमार बताते हैं-‘जापान से करीब 30 सिलाई मशीनें बुलवाकर युवकों को तीन माह तक प्रशिक्षण दिया गया और प्रशिक्षण के बाद अनेक युवक बड़ी टेक्सटाइल मिल में काम कर रहे हैं।’जो गरीब थे उन्हें निशुल्क और बाकी युवकों को बहुत कम फीस लेकर प्रशिक्षित किया गया। उनकी यह कोशिश रंग लाई और आठ सौ पैंसठ युवक आज विभिन्न उद्योगों में कार्यरत हैं।
छतरपुर के बाद वे सागर के कलेक्टर बने, तब उनका ध्यान इस बात की ओर गया कि यहां सेना का इंफेंट्री डिवीजन होने के बावजूद यहां से मिलेट्री में बहुत कम लोग जाते हैं तो उन्होंने ‘शौर्य संकल्प’ प्रोजेक्ट शुरू किया और इसके लिए पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले युवकों का चयन किया। उन्हें अंग्रेजी, गणित, सामान्य ज्ञान और लॉजिक सिखाने के साथ-साथ एक्सरसाइज का प्रशिक्षण भी दिया।
विभिन्न सरकारी विभागों की मदद भी ली, जिसका नतीजा यह हुआ कि 69 में से 42 युवक सेना में भर्ती हो गए। एक युवक कुक की हैसियत से जुड़ा था, यह देख रमेशकुमार ने रसोईया, ड्रायवर, स्वीपर आदि की ट्रनिंग क्लास शुरू की और उन्हें प्रशिक्षित किया.इस तरह बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण के जरिए तराशकर रमेशकुमार ने सैकड़ों युवकों को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया।
agar aise das bhi kalekatar ho jaye to pradesh kee halat sudhar jaaye
जवाब देंहटाएंवाकई बिना लोकप्रियता के लालच के ई रमेश कुमार काम कर रहे हैं, हालांकि यह अफसोस की बात है कि उनके मध्यप्रदेश छोड़कर आंध्रप्रदेश जाने के आदेश भी हो चुके हैं। हम सभी को ऐसे अच्छे लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। वो जहां भी रहें देश की सेवा करते रहें।
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