डॉ. सुदाम मुंडे और उनकी पत्नी डॉ. सरस्वती मुंडे-दोनों ही बरसों से जिस बीड़ जिले में स्त्री भ्रूण हत्या के गोरख-धंधे को अंजाम दे रहे थे, उस बीड़ जिले का लिंगानुपात वाकई चौंकाने वाला है। उस जिले में प्रति हजार लड़कों की तुलना में मात्र 801 लड़कियां हैं। समाज का नैसर्गिक संतुलन बिगाड़ने का दुष्कृत्य मुंडे जैसे डॉक्टरों ने किया है। यह वाकई अफसोसनाक है कि बीड के स्वास्थ्य विभाग और पुलिस इस बात की जानकारी होने के बावजूद चुप्पी क्यों साधे रहे?
‘लेक लाडकी’ यानि बेटी लाडली मुहीम चलाकर सामाजिक कार्य कर रहीं वर्षा देशपांडे ने अपनी साथिनों के साथ दो साल पहले डॉ. मुंडे का ‘स्टिंग ऑपरेशन’ किया था। सुश्री देशपांडे ने सप्रमाण बताया था कि डॉ. मुंडे किस प्रकार स्त्री भ्रूण हत्या में सक्रिय है? इस ‘स्टिंग ऑपरेशन’ के बाद कार्रवाई हुई और उसके यहां होने वाली सोनोग्राफी बंद हो गई परंतु एक साल के भीतर ही डॉ. मुंडे फिर से सक्रिय हो गया। पूरे महाराष्ट्र में गर्भ लिंग परीक्षण पर रोक होने के कारण गर्भ में लड़का है या लड़की, यह पता करने के लिए ठेठ मुंबई-पुणो से लोग डॉ. मुंडे के पास आने लगे।
सोनोग्राफी मशीन सील होने का जतान वाला मुंडे दूसरी मशीन पर गर्भ परीक्षण करता और अपनी डॉक्टर प}ी सरस्वती की मदद से 30-40 हजार में गर्भपात भी करता था। सरस्वती, एक महिला, मां और बहन होकर अपने पति के कसाई-कृत्यों में पूरी तरह सहभागी थी। तीन, चार और छह महीने के गर्भ कुत्तों के सामने फेंकने का जो निर्दयीपना इस डॉक्टर दंपत्ति ने दिखाया है, उसकी महाराष्ट्र ही नहीं देश में भी कोई मिसाल नहीं हैं।
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