शुक्रवार, 25 मई 2012

ये ‘साढ़े साती’ कब खत्म होगी?

साढ़े-सात रुपए से पेट्रोल महंगा और ऐसा लगा कि आम आदमी की कुंडली में राहू-केतु में फन उठाकर बैठे हैं..पिछले तीन सालों में पेट्रोल ने 16 बार छलांग लगाई है..आम जनता की तो सच में वाट लग गई है..ऐसा लगता है कि आम जनता का कोई वाली नहीं रह गया है..नेता तो मजे में हैं..सांसद, विधायक, मंत्री सब चांदी काट रहे हैं..जिस देश की राष्ट्रपति के विदेश-दौरों पर 200 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, जिस देश की लोकसभा अध्यक्ष बिला नागा हर महीने विदेश प्रवास करती है..जो देश पहले ही लाखों करोड़ रुपए के घपले-घोटालों में उलझा है, जिसका खामियाजा जनता को ही भुगतना है और भुगत ही रही है.


.जहां जनता महंगाई से पहले ही हलाकान हैं..वहां एकदम साढ़े-सात रुपए प्रति लीटर (विभिन्न प्रकार के कर जोड़ने के बाद एक-डेढ रुपए और) की वृद्धि ने तो जनता का दम ही निकाल दिया है..पेट्रोल, डीजल या किसी भी ईंधन के भाव बढ़ने के साथ-साथ दीगर वस्तुएं भी महंगी हो जाती हैं..और फिर महंगाई को तड़का लगता है..सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे ईंधन की कीमत प्रति बेरल 120 डॉलर से 100 डॉलर हो गई है, फिर भी सरकार ने अपने घटक दलों को विश् वास में लिए बिना अचानक यह भाव वृद्धि की है। 

केवल रुपए की गिरावट के चलते यह भाव वृद्धि होने का कहकर सरकार ने ठेठ साढ़े सात रुपए प्रति लीटर भाव वृद्धि को हरी झंडी दे दी..हकीकत में तो ईंधन पर से सरकार का नियंत्रण कभी का हट चुका है..इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली उठापटक का सीधे-सीधे असर हो रहा है.. परंतु पेट्रोल की भाव वृद्धि से सरकार हाथ झटकना चाहती है..पेट्रोल की कीमतों में होने वाली वृद्धि दूसरी वस्तुओं के भाव बढ़ाने में कारणीभूत होती है। इस कारण सरकार का ईंधन की भाव वृद्धि पर नियंत्रण नहीं है तो कम से कम दूसरी वस्तुओं के दामों पर तो नियंत्रण रखती.परंतु दुर्भाग्य..सरकार ने इस दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाए..विरोधी दलों ने जरूर इस भाव वृद्धि के खिलाफ आवाज बुलंद की है..यूपीए सरकार के घटक दलों ने भी विरोध में झंडा उठाया है..इस कारण सरकार गिर जाएगी..ऐसी अपेक्षा भी व्यर्थ है। पेट्रोल के दामों में यह वृद्धि यूपीए सरकार के गले की फांस बन गई है..इसलिए जनता को राहत देने के लिए कुछ किया जाएगा, इसमें कोई शक नहीं है..परंतु वह रुपया लेकर चवन्नी देने के माफिक ही होगा।

आज देश के हालात बेकाबू हैं..सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है.. अनेक मंत्री घोटालों में लिप्त हैं और उसकी सजा जनता भुगत रही है..काला धन लाने के लिए सरकार उचित कदम नहीं उठा रही है..ऐसे में पेट्रोल की कीमतें बढ़ने के बाद सरकार ने गेस और डीजल के भाव भी बढ़ा दिए तो जनता दम ही तोड़ देगी। भगवान, इस सरकार को सद्बुद्धि दे!

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