यह सवाल, इसलिए उठा है, क्योंकि यह बात
कहने वाले सुरेश मेहता भाजपा के वरिष्ठ नेता ही नहीं हैं, बल्कि कभी गुजरात
के मुख्यमंत्री रह चुके हैं..गुजरात में गत एक दशक से मोदी-राज के चलते जो
नेता हाशिए पर चले गए हैं, उनमें सुरेश मेहता का भी शुमार हैं..इसके पहले
केशुभाई पटेल भी कह चुके हैं कि गुजरात में भय का राज है..आखिर महात्मा
गांधी के राज में यह हो क्या रहा है?
बुधवार को
केशुभाई पटेल के गांधीनगर स्थित बंगले पर मोदी विरोधियों का जमावड़ा
था..इसमें केशुभाई के अलावा आरएसएस के भास्करराव दामले, पूर्व मुख्यमंत्री
सुरेश मेहता, पूर्व केंद्रीय मंत्री काशीराम राणा, पूर्व गृहमंत्री गोरधन
झडफिया शामिल हुए। देर रात तक बैठक चलने की संभावना के मद्देनजर मेहता बीच
में बाहर आकर मेहता ने पत्रकारों से कहा कि ‘गुजरात के मौजूदा मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी के राज में आपातकाल से भी खराब हालात हैं और इस कारण लोग डर
के मारे कांप रहे हैं..राज्य की स्थिति बद से बदतर हो गई है और लगता है कि
राज्य अराजकता की ओर जा रहा है।’
यह एक तरह से मोदी के खिलाफ मोर्चेबंदी है और लगता है कि यदि भाजपा नेतृत्व ने गुजरात में चल रही उठापटक को गंभीरता से लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो आगामी दिनों में यानि विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा में बगावत निश्चित है..चुनाव के पहले शनिवार को अहमदाबाद के धोलका में शनिवार को पटेल स्नेह सम्मेलन होगा।
इसमें
पूर्व मुख्यमंत्नी केशुभाई पटेल, वीएचपी के जयदीप पटेल, महागुजरात जनता
पार्टी गोरधन झडफिया, गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल और
केंद्रीय मंत्री दिनशा पटेल भी शामिल हो सकते हैं, यानि यह पटेलों का
जमावड़ा होगा। इसके बाद 24 जुलाई को आएगा केशुभाई पटेल का जन्मदिन..कहा जा
रहा है कि केशुभाई के जन्मदिन पर शक्ति-प्रदर्शन होगा। सुरेश भाई ने इस
बारे में इशारा भी दे दिया है। इस समारोह में संजय जोशी को भी आमंत्रित
किया जाएगा। संजय जोशी, आएंगे या नहीं, यह तो भविष्य बताएगा पर इतना साफ है
कि गुजरात में सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं है।
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