भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के
सितारे इन दिनों ठीक-ठाक नहीं है..मुंबई में पिछले दिनों संपन्न पार्टी की
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी मुंडे को उनके नाम और कद के मुताबिक
महत्व नहीं मिला..दरअसल महाराष्ट्र भाजपा में नितीन गडकरी और गोपीनाथ मुंडे
के दो खेमे हैं और दोनों ही एक-दूसरे को पटकनी देने में ही यकीन रखते हैं।
पटकनी के इस खेल में कभी कोई ऊपर होता है तो कभी कोई नीचे।
अटलबिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व
काल में जब प्रमोद महाजन की तूती बोलती थी, तब उन्होंने महाराष्ट्र की
राजनीति में अपने बहनोई गोपीनाथ मुंडे को आगे बढ़ाया। लिहाजा, नितीन गडकरी
चमक नहीं पाए। गडकरी चूंकि नागपुर के हैं और नागपुर आरएसएस यानि राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय भी है। महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा सरकार के
दौरान उन्होंने विकास के जो भी झंडे गाड़े, इस कारण वे आरएसएस सुप्रीमो
मोहन भागवत की नजरों में चढ़ गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से वे
मुख्यधारा से कटे हुए हैं..बीच में उनके भाजपा छोड़ने की भी खबरें थीं..मगर
पार्टी नेताओं को इसकी भनक लगते ही उन्हें थाम लिया था।
फिलहाल, उनका संसदीय क्षेत्र बीड़ सुर्खियों में है और ये सुर्खियां स्त्री भ्रूण हत्या के मामले में गिरफ्तार डॉक्टर दंपत्ति को लेकर है..डॉ. सुदाम मुंडे और उनकी प}ी डॉ. सरस्वती मुंडे पिछले कई वर्षो से गर्भ परीक्षण और स्त्री भ्रूण हत्या में जुटे थे..अब जब यह उजागर हुआ कि मुंडे दंपत्ति अजन्मी बच्चियों के भ्रूण अपने पालतू कुत्ताें को खिला देते थे तो परली ही नहीं, बीड और महाराष्ट्र में मुंडे दंपत्ति के खिलाफ रोष व आक्रोश पैदा हो गया है..हालांकि इस मामले से मुंडे का कोई लेना देना नहीं है, सिवाय मुंडे सरनेम होने के, लेकिन लोग तो लोग हैं लोगों का क्या? भाई लोग लगे हैं कुछ नाता-रिश्ता ढूंढने में..खैर हमें तो सिर्फ इतना पता है कि मुंडे भी मूलत: बीड़ जिले के परली के हैं और फिलहाल बीड़ संसदीय क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं..उनकी पुत्री पंकजा परली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
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