मंगलवार, 29 मई 2012

गुजरात का ‘शेर’ डरता क्यों है?

संजय जोशी को भाजपा के असली ‘गडकरी’ कहा जा सकता है..गडकरी का शाब्दिक अर्थ होता है गढ़ बांधने वाला..भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितीन गडकरी तो पुश्तैनी गडकरी हैं और वे आज भी राजनीति के ‘गढ़’ ही बांध रहे हैं, लेकिन उनके समर्थक संजय जोशी भी कम नहीं है..नरेंद्र मोदी को संजय जोशी से क्या खुन्नस है, यह तो वही जाने पर..आज जिस गुजरात पर वे राज कर रहे हैं, उसे भाजपा का ‘गढ़’ बनाने वाले संजय जोशी ही हैं..नरेंद्रभाई की जिद के चलते मुंबई कार्यकारिणी की बैठक के ऐन पहले संजय जोशी का इस्तीफा हो गया..संजय जोशी बेहद शांत और सरल व्यक्ति हैं..


वे नरेंद्र मोदी और आरएसएस के दूसरे प्रचारकों की माफिक राज-भोग में यकीन नहीं रखते..नहीं तो आज कहीं के मुख्यमंत्री नहीं तो मंत्री अवश्य होते या फिर राज्यसभा सदस्य तो होते ही..अब ऐसे संजय जोशी से इस्तीफा लेने के बाद नरेंद्र मोदी की धड़कनें बढ़ गई हैं। पिछले दिनों, कार्यकारिणी की बैठक संपन्न होने के बाद संजय जोशी को मुंबई से ट्रेन द्वारा दिल्ली जाना था, वाया सूरत, अहमदाबाद होकर..जब ये खबर गुजरात पहुंची तो जोशी समर्थकों ने उनके भव्य स्वागत की तैयारी कर ली..तय हुआ कि संजय जोशी का गुजरात में आठ स्थानों पर भव्य स्वागत किया जाए..सूरत की जिम्मेदारी कांशीराम राणा को सौंपी गई..

आपकी सुविधा के लिए बता दें कि कभी गुजरात भाजपा के अध्यक्ष रहे राणा ने मोदी के कारण भाजपा छोड़कर महा गुजरात नामक एक पार्टी बना ली है सूरत के आसपास उनका जादू आज भी बरकरार है..जैसे ही यह खबर नरेंद्र मोदी को लगी..वे हिल गए ..जोशी के स्वागत का मतलब होता, गुजरात में एक और ‘हीरो’ पैदा होना, मोदी ने फोन उठाया और संजय जोशी का ट्रेन का सफर केंसिल करवा दिया..लाख टके का सवाल ये है कि नरेंद्र मोदी ने पहले संजय जोशी का इस्तीफा करवा दिया..फिर पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में शरीक हुए..अब गुजरात नहीं आने देना..आखिर यह डर क्यों? नरेंद्र मोदी को तो गुजरात का ‘शेर’ कहा जाता है..शेर कभी डरता है क्या?

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