13 मई, रविवार को हमारी संसद ने साठा-पाठा पूरा कर लिया। संसद को हम लोकतंत्र का पवित्र मंदिर माना जाता है। अभी पिछले दिनों ही राज्यसभा में बदबू फँलने की खबर आई थी। संसद में ऐसे तमाम किस्से हुए हैं जो उल्लेखनीय हैं। आपातकाल के बाद जब केंद्र में जनता पार्टी सरकार बनी और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बने, तब लोकसभा के इतिहास की सबसे बड़ी गलती हुई।
हुआ यूं कि लोक नायक जयप्रकाश नारायण के जिंदा होते हुए उन्हें संसद में श्रद्धांजलि दे दी गई थी। उन दिनों जेपी मुंबई के जसलोक अस्पताल में अपने जीवन की अंतिम सांसे गिन रहे थे। उनकी मृत्यु की खबर कभी भी आ सकती है, हालात ऐसे थे। तभी किसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को उनका निधन हो जाने की सूचना दी। उस खबर की पुष्टि किए बिना ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने ने लोकसभा में तत्काल शो प्रस्ताव पेश कर दिया और सभी दलों के प्रतिनिधियों के श्रद्धांजलि देने के बाद सदन स्थगित कर दिया गया। तब महाराष्ट्र के विधानसभाध्यक्ष शिवराज पाटील थे। उन्होंने आधिकारिक खबर नहीं आने का हवाला देकर सदन का कामकाज स्थगित करना टाल दिया था और इस तरह सदन को शर्मनाक स्थिति से बचा लिया था।
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