दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके से सात किलोमीटर पश्चिम में आगे बढ़ें तो तिहाड़ नामक गांव आता है। इसी गांव में है एशिया की सबसे बड़ी और आजकल की सेलिब्रिटीज के लिए चर्चित तिहाड़ जेल, जिसमें वर्तमान में अमर सिंह, ए राजा, सुरेश कलमाड़ी सहित कई बड़ी हस्तियां आ चुकी हैं।
तिहाड़ जेल की क्षमता यूं तो 6, 250 कैदियों की है पर जेल जाने की बढ़ती स्पर्धा के कारण कैदियों की संख्या बढ़कर 12 हजार तक पहुंच गई है। उनमें थोड़ी बहुत कमी पेशी चलती रहती है। तिहाड़ जेल की वेबसाइट के होमपेज पर यह बात गर्व के साथ कही गई है कि हमारे कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। कैदियों की संख्या बढ़ने के कारण जेल की क्षमता भी बढ़ती गई और सुविधाएं भी।
एक जेल में अनेक जेल
1958 में निर्मित तिहाड़ जेल शुरुआती काल में पंजाब राज्य की जेल थी। उस वक्त एक ही कॉम्पलेक्स बनाया गया था, जिसमें 1273 कैदी बन सकते थे। 1966 में तिहाड़ जेल को तत्कालीन केंद्रशासित प्रदेश (अब राज्य) के हवाले कर दिया था। 1984 में उसकी सुविधाएं बढ़ी, तब से यह तिहाड़ जेल के रूप में मशहूर हो गई। यह जेल चार दीवारों के बीच बंद एक जेल जैसी नहीं है। नौ जेल का पूरा संकुल है। हरेक जेल का अपना सुपरिटेंडेंट है। आज पूरी जेल 400 एकड़ से अधिक जगह में फैली है। जेल के दावे के मुताबिक पूरी जेल सीसीटीवी कैमरे से सुसज्जित है। पूरी जेल का कामकाज कम्प्यूटराइज्ड है। मोबाइल जामर, एक्स-रे स्केनर, मेटल डिटेक्टर आदि आधुनिक साधन सामग्री है।
बदनाम जेल के लोकप्रिय प्रोडक्ट
अपनी उत्तम सुविधाओं के लिए जेल को आईएसओ सर्टिफिकेट मिला है। जेल की वेबसाइट तो है पर उसका फेसबुक पेज भी उपलब्ध है। यहां के कैदी जो भी चीज-वस्तु बनाते हैं, उसे ‘टीजेएस’ ब्रांडनेम से बेचा जाता है। दिल्ली में जहां-तहां उनकी दुकानें हैं तो पार्लियामेंट, हाईकोर्ट, दिल्ली सरकार का मंत्रलय, केंद्रीय विद्यालय सहित अनेक संस्था-कंपनियां तिहाड़ जेल के नियमित ग्राहक हैं। स्थिति ऐसी बन गई है कि तिहाड़ जेल जाना लोग भले ही पसंद नहीं करते हों, पर तिहाड़ जेल की फैक्ट्री की वस्तुएं खरीदना लोगों को बहुत जमता है।
तिहाड़ आश्रम!
कैदी सुधार के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत जेल कैंपस (यहां जेल कंपाउंड) इंटरव्यू भी आयोजित किए जाते हैं। विभिन्न कक्षाओं में पढ़ रहे कैदियों की सजा पूरी होने आती है और वे छूटने वाले होते हैं तो उसके लायक नौकरी भी तत्काल मिल जाती है। अण्णा के साथ लोकपाल की मांग को लेकर तिहाड़ जेल जाने को तैयार किरण बेदी एक समय तिहाड़ जेल की सुपरिटेंडेंट थी। उनके कार्यकाल में उन्होंने अनेक सुधार कार्य किए। तिहाड़ जेल का नाम बदलकर तिहाड़ आश्रम कर दिया। विपश्यना साधना शिविर आयोजित किए गए। इसके अलावा कैदियों के विकास की दृष्टि से ट्रेनिंग, व्यक्तित्व विकास जैसे आयोजन भी शुरू हुए। जेल में यूपीएससी की परीक्षा पास कर सकें, इसकी सुविधा भी है।
राजा को रंक बनाने वाली लाइफ स्टाइल
धन-दौलत को ओढ़ने और बिछाने वाले एवं सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हस्तियां भी जब तिहाड़ आती हैं तो उन्हें 15 फीट लंबी और दस फीट चौड़ी कोठरी में ही रहना पड़ता है। जमीन पर सोना पड़ता है और सुबह साढ़े 6 बजे जब जेल की बेल बजती है तब उठना पड़ता है। यहां पर सुविधा के नाम पर कोठरी में पंखा होता है पर बाकी गर्मी सहन करना पड़ती है। मच्छरों का आतंक भी सहन करना पड़ता है। ‘हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है’ यह डायलाग बोले बिना चुपचाप कतार में खड़ा होना पड़ता है।
कोठरी के एक कोने में टायलेट होती है। सुबह साढ़े 6 बजे उठने के बाद दो ब्रेड और चाय की प्याली के नाश्ते के लिए लाइन में खड़े होना पड़ता है। जिनका ट्रायल चालू होता है उन कैदियों को अखबार की सुविधा होती है। ए. राजा सरीखे कितने ही तमिल अखबारों की मांग करते हैं, जो दिल्ली में आसानी से उपलब्ध नहीं होते। जेल में लायब्रेरी भी है, किंतु इन हाई प्रोफाइल कैदियों को बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। लिहाजा, जरूरी पुस्तक-मैग्जीन उनके बैरिक में ही पहुंचा दी जाती है। पांच सौ रुपए के कूपन खरीदकर उनसे जेल की कैंटीन में से रियायती दरों पर नाश्ता-पानी बुलवा सकते हैं।
सुबह के नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता। साढ़े 9 बजे तो कैदियों को दोपहर के भोजन के लिए लाइन में खड़ा कर दिया जाता है। भोजन में दाल-चावल, रोटी और सब्जी होती है। जिन कैदियों का ट्रायल होता है उन कैदियों को पोशाक नहीं पहनना होती है पर सजायाफ्ता कैदी तो ब्लैक एंड व्हाइट में ही दिखाई पड़ते हैं। सुबह से बाहर निकले कैदियों को दोपहर साढ़े तीन बजे फिर से कोठरी में भेज दिया जाता है। शाम होते ही वार्ड के आसपास घूमने जाने की छूट है। फिर शाम होते ही कैदियों को डिनर के लिए कतार में खड़ा होना पड़ता है। शाम साढ़े 6 बजे सारा काम खत्म और गिनती के बाद कैदियों को सींखचों के पीछे धकेल दिया जाता है। जेल में साढ़े 6 बजे से रात 11 बजे तक टीवी देखने की छूट है। इसके बाद लाइट बंद कर दी जाती है। फिर सुबह साढ़े 6 बजे उठकर वही दिनचर्या चालू हो जाती है।
ये भी रहे तिहाड़ में
ये तो वर्तमान हस्तियों की बात हुई पर भूतकाल में इंदिरा गांधी, जयप्रकाशनारायण, विजयाराजे सिंधिया, जयपुर की महारानी गायत्री देवी, पूर्वरक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीस, संजय गांधी आदि भी तिहाड़ जेल की यात्र कर चुके हैं। देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी और भी हस्तियां तिहाड़ की हवा खाने आ सकती है। शायद ऐसी स्थिति भी आ जाए कि संसद भवन से ज्यादा राजनेता तिहाड़ में हो और देश का कामकाज तिहाड़ से ही चलाने की नौबत आ जाए।
तिहाड़ जेल या बिहार जेल!
- तिहाड़ जेल में निरुद्ध कैदियों में से 70 प्रतिशत कैदी अकेले बिहार के हैं। इस प्रकार जेल का नाम बदलकर बिहार जेल किया जा सकता है।
- तिहाड़ के 6 से 8 प्रतिशत कैदी एचआईवी पॉजीटिव हैं। भारत की सामान्य एचआईवी दर के मुकाबले ये बहुत अधिक है।
- किसी को अगर याद हो तो मधुर भंडारकर की ‘जेल’ फिल्म आई थी। उसकी पब्लिसिटी के वक्त मधुर भंडारकर, नील नितिन मुकेश, मनोज वाजपेई और संगीत डायरेक्टर समीर टंडन जेल में कैदियों के साथ दीवाली मनाने गए थे। भारत में पूर्णरूप से जेल को समर्पित शायद एकमात्र फिल्म होगी।
- फिलहाल जेल में 12,300 कैदियों में से 544 महिला कैदी हैं।
- कुल कैदियों में से 1109 मौत की सजा प्राप्त हैं।
- कुल कैदियों में से 75 प्रतिशत यानी 9186 कैदी अंडर ट्रायल है। अर्थात केस का फैसला नहीं आया है, जबकि बाकी के कैदी सजायाफ्ता हैं।
इन कैदियों ने बढाई तिहाड़ की शोभा
- चाल्र्स शोभराज: शोभराज 1986 में 16 मार्च को तिहाड़ जेल से भाग गया था। उसे तुरंत पकड़कर वापस जेल भेज दिया गया था।
- रूपिन वोरा: असम के शिक्षा मंत्री रह चुके रूपिन वोरा डेनियल टोप के मर्डर केस में तिहाड़ की हवा खा रहे हैं।
- अंदीमुथु राजा: नाम से राजा हकीकत में तिहाड़ जेल में रंक बन गए। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में वे जेल में हैं। उनके साथ एमके कनिमोझी, विनोद गोयनका, शाहीद उस्मान बलवा आदि भी हैं।
- सुरेश कलमाड़ी: कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला कर मालामाल हुए कलमाड़ी भी तिहाड़ की हवा खा रहे हैं।
- अमरसिंह: अच्छे-अच्छे की सेटिंग में उस्ताद और बिग बी को संकट से उबारने वाले अमरसिंह भी केश फॉर वोट कांड में सींखचों के पीछे हैं।
- अण्णा हजारे और अरविंद केजरीवाल: ये दोनों तिहाड़ जेल तो गए पर जनहित में, इसलिए लोगों के मन में उनके प्रति बहुत आदर था।
- एमके मोरानी: बॉलीवुड के मोरानी भी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में तिहाड़ जेल में हैं। बाहर आकर वे जेल पर फिल्म बना सकते हैं पर फिलहाल तो जेल में ही उनकी फिल्म उतर रही है।
- जय चंद्रा: यूनिटेक कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर चंद्रा 2जी घोटाले में तिहाड़ जेल में हैं। उनके परिवार की कुल संपत्ति 5 हजार करोड़ रुपए है पर तिहाड़ जेल के नियमानुसार वे हर हफ्ते 2 हजार रुपए से अधिक इस्तेमाल नहीं कर सकते।
- शिबू सोरेन: केंद्रीय मंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके शिबू सोरेन अपने सेक्रेटरी की हत्या के आरोप में तिहाड़ जेल की हवा खा चुके हैं।
- अफजल गुरू : संसद पर हमले का आरोपी भी तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे की बांट जोह रहा है।
- पप्पू यादव: बिहार का यह बाहुबली नेता अजीत सरकार की हत्या के आरोप में तिहाड़ जेल की यात्र कर रहा है।
- एसएसराठी: किसी समय दिल्ली के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर रहे राठी एनकाउंटर के मामले में तिहाड़ जेल में एक कांस्टेबल की निगरानी में हैं।
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