शनिवार, 19 मई 2012

जया बच्चन पर केमरा क्यों घूमा?

यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब शायद केमरामेन भी न दे पाए। सवाल उठा है और जवाब तलाशने की भी कवायदें की जा रही हैं। राज्यसभा में जब रेखा शपथ ग्रहण कर रहीं थी तो टीवी जया बच्चन के हाव-भाव भी दिखा रहा था। आखिर, क्यों? क्या जताने की कोशिश थी यह?
अस्सी के दशक में एक फिल्म आई थी ‘सिलसिला’जिसमें अमिताभ बच्चन, जया और रेखा का प्रेम-त्रिकोण दर्शाया गया था। उस फिल्म का हवाला आज भी दिया जाता है..और अब रेखा राज्यसभा में पहुंच चुकी है तो भी चर्चा हो रही है..उस पर भी रेखा की शपथ के दौरान केमरा फोकस किए जाने को लेकर बवाल मचा हुआ है..अनेक सांसदों ने इस बारे में राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति से शिकायत की है और राज्यसभा सचिवालय से स्पष्टीकरण मांगा गया है..संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ल से भी शिकायत की गई थी। उप राष्ट्रपति अंसारी ने राज्यसभा टीवी, जो सरकारी चेनल है के सीईओ को बुलाकर सफाई मांगी तो उसका कहना था कि कार्यवाही की रेकार्डिग राज्यसभा टीवी ही नहीं दूरदर्शन भी करता है..बीच में यह भी खबर थी कि इस प्रसारण को लेकर जया ने भी आपत्ति जताई है..बाद में उनकी पार्टी यानि समाजवादी पार्टी के नेताओं ने खुलासा किया कि जयाजी ने कोई शिकायत नहीं की है। राज्यसभा टीवी के सीईओ के खुलासे के बाद अब यह प्रकरण तूल पकड़ेगा, इस बात की संभावना कम है पर इस समूचे घटनाक्रम ने तमाम सवाल पैदा कर दिए हैं।

57 वर्षीय रेखा, जब राज्यसभा में दाखिल हुईं, तब सांसदों ने उन्हें घेर लिया था और उनका अभिवादन किया था। पूर्व पत्रकार और मनोनीत सदस्य एचके दुआ ने कार्यवाही के बारे में समझाईश दी। जब उनका नाम पुकारा गया तो मेजें थपथपाई गई।  हामिद अंसारी भी उनका ‘वेलकम’ किए बिना नहीं रह सके।  इन तमाम दृश्यों को देखने के बाद लगता है कि ‘उमराव जान’ के ठसके पर सभी मुग्ध हैं। हमारे देश में हिंदी फिल्मों में सह भूमिका करने वाले कलाकारों को भी बड़े आदर-भाव से देखा जाता है तो फिर रेखा जैसी सुंदर अभिनेत्री को देख लोगों की आंखें चौंधियाना स्वाभविक है पर संसद में क्या काम?

देश की संसद के उच्च सदन में स्थान पाने वाले व्यक्ति का कद भी ऊंचा होना चाहिए। इस सदन का महत्व देश के लोकतंत्र में बहुत ऊंचा है। लोकसभा तो हर 5 साल में नई आती है, जबकि राज्यसभा स्थायी है। रेखा के पहले भी कई फिल्म तारिकाएं मसलन नरगिस दत्त, वैजयंतीमाला, हेमा मालिनी, शबाना आजमी, जयाप्रदा और जया बच्चन राज्यसभा में आ चुकी हैं पर ऐसा पहली बार हुआ कि पूरी संसद ही किसी अभिनेत्री पर मुग्ध हो गई, मोहित हो गई।

उच्च सदन की गरिमा बनाए रखने की जरूरत

लाख टके का सवाल यह है कि सरकार ऐसी हस्तियों को राज्यसभा में मनोनीत कर आखिर क्या दर्शाना चाहती है। विभिन्न क्षेत्रों की अग्रणी हस्तियों को राज्यसभा में भेजा जाना तो समझ में आता है परंतु सदन का ग्लेमर और आकर्शण बढ़ाने के लिए यदि किसी का नामिनेशन किया जाता है तो उसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता। शबाना आजमी को छोड़ दें तो राज्यसभा में मनोनीत किसी अभिनेत्री ने सामाजिक जीवन में कोई योगदान नहीं दिया।

अब तक लोकसभा में चुनकर आए या राज्यसभा में मनोनीत किसी हस्ती ने सदन की कार्यवाही में कोई महत्वपूर्ण योगदान दिया हो, ऐसा दिखाई नहीं पड़ता।  स्वर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर को भी राज्यसभा में मनोनीत किया गया था। गायन के क्षेत्र में बेशक उनका बहुत नाम है, सम्मान है पर उनके मनोनयन से सदन को कोई लाभ नहीं मिला, उलटे सदन में गैर हाजिर रहने के कारण उन पर टीका की गई थी। गोविंदा भी लोकसभा में चुने जाने के बाद शायद ही कभी लोकसभा आते थे। उनके नाम पर 25 हाजिरी ही दर्ज होने का बताया जाता है। अब तक मनोनीत फिल्मी हस्तियों में केवल शबाना आजमी ने ही सक्रिय भूमिका निभाई है, इसकी वजह उनकी पारिवारिक सामाजिक आंदोलन की पृष्ठभूमि है। 

उल्लेख के तौर पर अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, धर्मेद्र, शत्रुघA सिन्हा, गोविंदा-ये सभी कलाकार लोकसभा में चुनकर आए पर बाद में उन्होंने सक्रिय राजनीति से तौबा कर ली। राजनीति में उनका डंका बजा नहीं। क्रिकेटर नवजोतसिंह सिद्धू भी राजनीति में नाकाम साबित हुए।

हकीकत में यदि कोई फिल्मी या दूसरे क्षेत्र की हस्ती लोकसभा या राज्यसभा में आती है तो उसके नाम का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए, सरकारी योजनाओं और सामाजिक संदेशों के प्रचार के लिए, समाज के ज्वलंत मुद्दों को हल करने के लिए, अच्छे लोगों को राजनीति में आकष्ज्र्ञित करने के लिए किया जाना चाहिए। यह किए बिना केवल नाम भुनाने के लिए इन लोगों को राज्यसभा में लाने की परंपरा गलत है। कांग्रेस ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए सचिन तेंदुलकर और रेखा की लोकप्रियता को भुनाने का तय किया हेै, इससे संसद की गरिमा नहीं बढ़ेगी। साठ साल में कम से कम इतनी समझ तो हमारे नेताओं को आ जाना चाहिए पर दुर्भाग्य..कि हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि केमरा जया पर क्यों ‘फोकस’ हुआ।

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